Hindi ebooks biography of swami vivekananda
Senh duong biography of albert einstein
अपनी कहै मेरी सुनै :व्यावहारिक तथा आध्यात्मिक दोनों क्षेत्रों में समन्वय की अत्यंत आवश्यकता है। समन्वय कहते हैं सारी बातों को लेकर एकता स्थापित करना। समन्वय के बिना सर्वत्र अहं-हीनत्व एवं विद्वेष की भावना व्याप्त है।
व्यावहारिक समन्वय
पिता-पुत्र, पति-पत्नी, गुरू-शिष्य, सास-बहू, भाई-बहन, पड़ोसी-पड़ोसी में जो कलह है, इसका कारण है - आपस में समन्वय न करना। समन्वय करने के लिए सबकी अच्छाइयों को देखना पड़ेगा। परन्तु हम तो ऐसे अधम हैं कि हर समय सबकी बुराइयों को देखते हैं।
दो व्यक्ति दो वातावरण एवं संस्कारों में जन्में होते हैं, फिर दोनों के सारे विचार और व्यवहार सर्वथा एक कैसे हो सकते हैं!
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अपनी कहै मेरी सुनै :व्यावहारिक तथा आध्यात्मिक दोनों क्षेत्रों में समन्वय की अत्यंत आवश्यकता है। समन्वय कहते हैं सारी बातों को लेकर एकता स्थापित करना। समन्वय के बिना सर्वत्र अहं-हीनत्व एवं विद्वेष की भावना व्याप्त है।
व्यावहारिक समन्वय
पिता-पुत्र, पति-पत्नी, गुरू-शिष्य, सास-बहू, भाई-बहन, पड़ोसी-पड़ोसी में जो कलह है, इसका कारण है - आपस में समन्वय न करना। समन्वय करने के लिए सबकी अच्छाइयों को देखना पड़ेगा। परन्तु हम तो ऐसे अधम हैं कि हर समय सबकी बुराइयों को देखते हैं।
दो व्यक्ति दो वातावरण एवं संस्कारों में जन्में होते हैं, फिर दोनों के सारे विचार और व्यवहार सर्वथा एक कैसे हो सकते हैं!
ऐसी स्थिति में दोनों की केवल सार बातों को लेकर समन्वय कर लेने के अतिरिक्त एकता के लिए अन्य क्या चारा है!